रच रच
नित नूतन निज
आनंद उल्लास अमर,
बह आये
अमृत स्वर,
चल चल
उस पथ
जिस पथ पर महापुरुष
चले निर्भय,
छोड़
छूटना है जो
थाम उसे
जो अक्षय,
अनहद का नाद
संग,
वर केवल
आत्म रंग,
शुद्ध, बुद्ध
ओ प्रवीण
नित अनंत
में हो लीन
चल चल
अब तीव्र हुई
अमृत की प्यास प्रिये
पग पग पर
कृपा चिन्ह
ले चल विश्वास प्रिये
चल चल
उस पथ
जिस पथ पर महापुरुष
चले निर्भय,
छोड़
छूटना है जो
थाम उसे
जो अक्षय,
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
सुबह ७ बज कर ३३ मिनट
सोमवार, ३१ मई २०१०