Wednesday, May 26, 2010

अकारण प्यार का झरना


अब भी शेष है
 स्वर्णिम उल्लास 
मानस के किसी हिस्से में

बची है
आलोक की वो सघन बूँद
जिसमें अपने आपको
बारम्बार रचते हुए
अपार विस्तार पा लेने की संभावना है

अब भी
मुझमें शेष है
अकारण प्यार का झरना
जिसमें क्षमा करने की 
अक्षय ताकत है


पर इस निश्छल 
निर्बद्ध प्रेम पर अंकुश लगाता है
एक विचार,
कहीं न्याय विरोधी तो नहीं होगा
इस तरह हो 
जाना उदार,

और
मन के किसी कोने में
इस संशय का भी एक कतरा है
शत्रु भाव रखने वालों को
क्षमा करने से शायद
हमारे अस्तित्व को खतरा है 

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
८ बज कर २६ मिनट
बुधवार, २६ मई २०१०



अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका
सुबह ८ बज कर २० मिनट

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