अब भी शेष है
स्वर्णिम उल्लास
मानस के किसी हिस्से में
बची है
आलोक की वो सघन बूँद
जिसमें अपने आपको
बारम्बार रचते हुए
अपार विस्तार पा लेने की संभावना है
अब भी
मुझमें शेष है
अकारण प्यार का झरना
जिसमें क्षमा करने की
अक्षय ताकत है
२
पर इस निश्छल
निर्बद्ध प्रेम पर अंकुश लगाता है
एक विचार,
कहीं न्याय विरोधी तो नहीं होगा
इस तरह हो
जाना उदार,
और
मन के किसी कोने में
इस संशय का भी एक कतरा है
शत्रु भाव रखने वालों को
क्षमा करने से शायद
हमारे अस्तित्व को खतरा है
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
८ बज कर २६ मिनट
बुधवार, २६ मई २०१०
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
सुबह ८ बज कर २० मिनट
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