उसने ये दावा किया
की सूरज उसकी मुट्ठी में है
और लोग
सूरज की तरफ देखना छोड़ कर
उसके पीछे हो लिए
२
अपमानित होने से परे है ईश्वर
पर
कुछ तो टूटता है
परम्पराओं के छिछले विश्लेषण से,
जिन्हें नींव होना चाहिए
समाज की
वे बन कर रह जाते आभूषण से,
3
अभी तक
वही किस्सा दोहराया जा रहा है
छल करने के लिए
पुराना नुस्खा आजमाया जा रहा है
हम बैठ गए है
सम्मोहित होकर, सरल समाधान के लिए
हमारी आँखों पर
शब्दों का नया काजल लगाया जा रहा है
४
कुछ इधर से आये
कुछ उधर से
कुछ सम्मानित होने आये
कुछ सम्मान का नाटक देखने
सब मिल कर
इधर- उधर से
झूठ के गलियारे में
आँखों पर पट्टी बांध कर
आकाश के विस्तार का गुणगान करते रहे
5
वो सब मिल कर
अपनी-अपनी समझ से
जैसे-जैसे करते हैं
मानवता की सेवा
कहीं कोइ एक त्रुटि के कारण
उस सेवा के फलस्वरूप
गिरती जाती है मानवता
6
प्रमाणिकता का परिचय
कहाँ छोड़ आये हम
कुछ देर भी
इस पर विचार किये बिना
स्वयं को प्रमाणिक मानने वालों
से चमत्कृत
मिल जुल कर
मायार्पण करते रहे
हम
एक सम्भावना का
7
हमें सम्भावना लुभाती है
हम सीमाओं से परे जाने की छटपटाहट में
एक सीमा से छूटते हुए
अपने
समग्र विकास की सम्भावना को
नकार देते हैं
पर अपनी इस हानि का अफ़सोस नहीं होता हमें
हमें पता ही नहीं की
हमने क्या खोया है
हम उसके पीछे लगे हैं
जिसने ये दावा किया
की सूरज उसकी मुट्ठी में है
और वो
कुछ किरणे हमारे हवाले करके
हमें भी कर सकता है
मालामाल
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३० अप्रैल २०११
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
शनिवार, ३० अप्रैल २०११