बात शुरू करने के पहले
कोइ एक सिरा
ढूंढता है
हर कोई
कभी सजगता से
कभी बिना सोचे
कोई एक सूक्ष्म तरंग
साथ चलते हुए
देती है शब्द, भाव, विचार, सपने
बिरला ही करता है प्रयोग करता
चयन की शक्ति का
और
जो बहुत सतर्कता से
करने लगता है अभ्यास
चुन कर सर्वश्रेष्ठ को
अपनाने का
बस उसी को गाने का
अक्सर
वह मौन हो जाता है
फिर एक ऐसा क्षण आता है
जब चुनने का भाव भी छूट जाता है
वह क्षण
जब
चुनने वाला और चुना गया एक हो जाते हैं
तब
वे उन लहरों के
उद्गम हो जाते हैं
जिनसे जग में सुन्दरता और
सार के दरसन हो जाते हैं
अक्सर वे लोग
जिन्हें हम कभी नहीं जान पाते हैं
हमारे लिए सार के संकेत और गति सुलभ करवाते हैं
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
गुरुवार, ७ अप्रैल 2011
3 comments:
अक्सर वे लोगजिन्हें हम कभी नहीं जान पाते हैंहमारे लिए सार के संकेत और गति सुलभ करवाते हैं
इश्वर इसी रूप में मिलते हैं शायद .
प्रभावी रचना .आभार
विचारों की सूक्ष्म तरंगें न जाने कहाँ कहाँ से उठ आती हैं।
बहुत सुन्दर ...
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