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तुम मेरे लिए
इतना कुछ कर गए हो
अपने भीतर प्रवेश का द्वार दिखा कर
और
अपने भीतर
कहाँ, क्या, कैसे देखूं
सब कुछ संकेतों में
रख छोड़ा है
विरासत के रूप में
मेरे लिए
बिना तुम्हारे
वंचित रहता
इस विस्तार से
जो है सभी के लिए
सभी के भीतर
पर
समझ बढ़ने के साथ
हम परे धकेलते जाते हैं
अपने भीतर प्रवेश द्वारा का परिचय
तुमने
मुझसे मेरी दूरी मिटाने के लिए
कितना धैर्य रखा
और मुझे मेरी गलतियों से सीखने के लिए
देते रही पूरी पूरी स्वतंत्रता
शायद ये जानते हो तुम
बहुत अच्छी तरह
की
जो कल्याणकारी है
वह थोपता नहीं स्वयं को
किसी पर
आलिंगन मुक्ति का करें
या बंधन का स्वांग भरें
यह
स्वतंत्रता सौंप कर हमें
अनंत करता है प्रतीक्षा हमारे भीतर
२
और
एक क्षण
कई कई सीढ़ियों की
रोमांचक, प्रफुल्लित चढ़ाई के बाद
जब आलिंगनबद्ध होने को हूँ
जब अनंत से
कृतज्ञता से याद किया है तुम्हें
और
देखता हूँ
अनंत ही तुम्हारे रूप में
दिखाता रहा मुझे यह अंतर यात्रा का पावन पथ
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
बुधवार, २० अप्रैल २०११
1 comment:
sunder darshan .
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