अब तक जो है
उसके होने का उत्सव
जो छूटा, सो छूटा
साथ है सदा केशव
मौन की बगिया में
आनंद की ताल पर
लिख गयी सन्देश
एक किरण भाल पर
ठहरना नहीं
चलते जाना है
और अपने आप में
रम जाना है
बीज छुप जाता है
तब वृक्ष आता है
बीज शाश्वत का
भीतर हमारे, अंकुरित हो, पल्लवित हो, लहलहाए
अपने विशिष्ट ढंग से
जीवन का मंगलमय रूप लिए, प्रकट होता जाए
जीवन क्या है
अनंत का उद्भव
अब तक जो है
उसके होने का उत्सव
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२९ अप्रैल २०११
3 comments:
यही जीवन सत्य है।
जीवन उत्सव है।
बीत गयी सो बात गयी ..
वर्त्तमान का शाश्वत उत्सव है जीवन ...!!
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