Friday, April 29, 2011

उसके होने का उत्सव


अब  तक जो है
उसके होने का उत्सव
जो छूटा, सो छूटा
साथ है सदा केशव

मौन की बगिया में
आनंद की ताल पर
लिख गयी सन्देश
एक किरण भाल पर

ठहरना नहीं
चलते जाना है
और अपने आप में
 रम जाना है 

बीज छुप जाता है
तब वृक्ष आता है

बीज शाश्वत का
भीतर हमारे, अंकुरित हो, पल्लवित हो,  लहलहाए
अपने विशिष्ट ढंग से
जीवन का मंगलमय रूप लिए, प्रकट होता जाए   

जीवन क्या है
 अनंत का उद्भव
अब तक जो है
उसके होने का उत्सव


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२९ अप्रैल २०११  

    
      

3 comments:

vandana gupta said...

यही जीवन सत्य है।

प्रवीण पाण्डेय said...

जीवन उत्सव है।

Anupama Tripathi said...

बीत गयी सो बात गयी ..
वर्त्तमान का शाश्वत उत्सव है जीवन ...!!

सुंदर मौन की गाथा

   है कुछ बात दिखती नहीं जो  पर करती है असर  ऐसी की जो दीखता है  इसी से होता मुखर  है कुछ बात जिसे बनाने  बैठता दिन -...