कहाँ से करें मूल्यांकन
उससे जो आज है
उससे जो कल था
या उससे जो कल हो सकता है
२
किसका करें मूल्यांकन
वह जो हुआ है
उसका, जिससे हुआ है
या उसका, जो होकर भी
परे रहा है होने के
३
कितनी बार
अपनी मुट्ठी में ही
छुपा कर प्रेम पत्र
लौट कर सम्भावना के द्वार से
बहाये हैं हमने
अदृश्य गंगा में
कितनी बार
आहत को भी
राहत की संज्ञा देकर
चढ़ते रहे
हिमालय की नयी चोटियों पर
४
गति के लिए भी
खेलनी होती है
लुका-छुप्पी
कभी खुदको छुपाना होता है
कभी उसे
जिसके कारण
छुपे रहने का विचार
कर लेते हैं हम
५
प्रकट होने के लिए
सृजनशीलता और साहस के साथ
चाहिए समय भी
अनुकूल समय ऐसा
जिससे समन्वित होकर
फैलें अभिव्यक्ति की किरणें
६
अभिव्यक्ति में
प्रतिभा के साथ
होती है कृपा भी
अव्यक्त, अनंत
मुस्कुरा कर ह्रदय से
करता है उजागर
प्रेम, सौंदर्य, आनंद
जैसे जैसे
देख, पहचान महिमा उसकी
नतमस्तक होते हम
करके आलिंगनबद्ध
अक्षय वात्सल्य उंडेलता है वह
प्रकटन जो है
इस आत्म-तृप्ति के वैभव का
इसी से सुलभ है
प्रवाह पूर्णता का
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
सुबह ७ बज कर ४८ मिनट
बुधवार, ५ मई २०१०
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