वह जो चले जाते हैं उस पार
छोड़ जाते हैं अपने विचार
उनके भाव बरसाते रहते
जीवन की गोपनीय रसधार
वह जो चले जाते हैं उस पार
सुरक्षित रहता है उनका प्यार
ये प्यार 'रिले रेस' की तरह
पीढी दर पीढी, श्रद्धा संचार
वह जो चले गए उस पार
नहीं उनसे संवाद अधिकार
फिर भी बतियाता संसार
पहन कर यादों के हार
क्या जाने, क्या होता है उस पार
देह से परे, क्या है जुड़ाव का सार
मृत्यु जीवन को परिभाषित करती है
या जीवन ही है, जीवन के पार
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
1 मार्च २० १३
3 comments:
कौन जाने क्या उधर है?
भीगी सी यादें ही रह जातीं हैं ...उस पार जाने वालों की ....जब भी आती है आँख नाम कर जातीं हैं ....
क्या बात
बहुत सुंदर
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