देख रहा हूँ
प्यार तुम्हारा
साँसों में
रहता आया चिरकाल से
मुक्त करे है
हंस हंस कर ये
हर अतृप्ति की ताल से
रोते रोते भी
अक्सर ऐसा ही होता
आया है
हंसा गए
कुछ नए द्वार
जो उग आये दीवाल से
साथ तुम्हारा
जगमग करता
पग पग पर उजियारा है
लिए भरोसा
रूप तुम्हारा
दिख जाए हर हाल से
साथ तुम्हारा
जगमग करता
पग पग पर उजियारा है
लिए भरोसा
रूप तुम्हारा
दिख जाए हर हाल से
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
शनिवार
27 अक्टूबर 2012
1 comment:
ताक रहे हैं, खड़े अभी तक।
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