और फिर
कुछ दिन रास्ता बदल देने के बाद
उसे समझ में आया
गुलमोहर के पेड़ से
उसके हर दिन का
एक गहरा सम्बन्ध है
पार्क के किनारे
कबूतरों को चुग्गा देने से
बिछा करती है
एक अदृश्य प्रसन्नता
उसके मन में
सारे दिन
और
स्कूल जाते बच्चों को
मुस्कुरा कर हाथ हिलाना भी
एक ऐसी क्रिया है
जो निश्छल रस घोल देती है
उसकी साँसे में
कुछ दिन रास्ता बदलने के बाद
फिर पुराने रास्ते पर
आकर
उसे यूं लगा
जैसे अपने जीवन से
फिर हो गयी मुलाक़ात
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
८ जनवरी २०११
3 comments:
पार्क के किनारे कबूतरों को चुग्गा देने से बिछा करती है एक अदृश्य प्रसन्नता उसके मन में सारे दिन और स्कूल जाते बच्चों को मुस्कुरा कर हाथ हिलाना भी एक ऐसी क्रिया है जो निश्छल रस घोल देती है उसकी साँसे में
कबूतरों की भूख को तृप्त कराने में और अबोध बचपन में ईश्वर यानि सत्-चित-आनन्द के दर्शन सहज ही होते हैं.
आपने मेल से जो टिप्पणी मुझे भेजी
उसे हनुमान जी को अर्पित कर दिया है.
आपके दर्शन दुर्लभ क्यूँ हो रहें है जी?
और
स्कूल जाते बच्चों को
मुस्कुरा कर हाथ हिलाना भी
एक ऐसी क्रिया है
जो निश्छल रस घोल देती है
उसकी साँसे में
sunder bhav....
जीवन के कुछ रास्ते नियत होते हैं।
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