पुकार में ही प्रेम छिपा है।
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है कुछ बात दिखती नहीं जो पर करती है असर ऐसी की जो दीखता है इसी से होता मुखर है कुछ बात जिसे बनाने बैठता दिन -...
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पुकार में ही प्रेम छिपा है।
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