छूट गया वो छोड़ बढ़ो तुम।
इस प्रभाव में उत्सव मनाता हूँ उस सबका जो पाता हूँ और उसका भी जो छोड़ जाताया जिससे छूट जाता हूँइति गुह्यतमं शास्त्रमिदमुक्तं मयानघ एतद्बुद्ध्वा बुद्धिमान्स्यात्कृतकृत्यश्च भारत.अक्षय कथा का तन्मय होकर श्रवण मननबुद्धिमानों को कृतकृत्य कर देता है.
शनिवार (१०-९-११) को आपकी कोई पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर है ...कृपया आमंत्रण स्वीकार करें ....aur apne vichar den..
बहुत बढ़िया सर। सादर
अपनी बात कहने में सफल ऐसे ही बढते चलो :)सुन्दर रचना |
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है कुछ बात दिखती नहीं जो पर करती है असर ऐसी की जो दीखता है इसी से होता मुखर है कुछ बात जिसे बनाने बैठता दिन -...
5 comments:
छूट गया वो छोड़ बढ़ो तुम।
इस प्रभाव में
उत्सव मनाता हूँ
उस सबका
जो पाता हूँ
और उसका भी
जो छोड़ जाता
या जिससे छूट जाता हूँ
इति गुह्यतमं शास्त्रमिदमुक्तं मयानघ
एतद्बुद्ध्वा बुद्धिमान्स्यात्कृतकृत्यश्च भारत.
अक्षय कथा का तन्मय होकर श्रवण मनन
बुद्धिमानों को कृतकृत्य कर देता है.
शनिवार (१०-९-११) को आपकी कोई पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर है ...कृपया आमंत्रण स्वीकार करें ....aur apne vichar den..
बहुत बढ़िया सर।
सादर
अपनी बात कहने में सफल ऐसे ही बढते चलो :)
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