ऐ जी
तुम कौन हो
उसी एक बात को नया नया कर देते हो
देखने मात्र से सारे संशय हर लेते हो
कैसे संभव हो जाता है तुम्हारे लिए
हर बार मुझे शुद्ध प्रेम से भर देते हो
ओ मौन सखा
आज फिर तुमने मुझे उबारा
सुन्दर कर दिया संसार सारा
बिना जताए अपनी उपस्थिति
दे दिया मुझे फिर सहारा
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१६ अप्रैल 2011
3 comments:
सर्वप्रिय।
सुन्दर अभिव्यक्ति ...
सुंदर भावपूर्ण रचना
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