एक क्षण
जब कोई खिड़की से परदा हटाये
कमरे में उजियारा लहलहाए
समय ही मधुर राग छेड़ कर
साँसों में मधुर संगीत सजाये
एक क्षण
तुम्हारे होने की आभा खिल जाए
खोया परिचय अमृत का मिल जाए
आनंद के झरने में भीग कर उड़ता
सनातन श्वेत पंछी आशीष लुटाये
एक क्षण
सम्पूर्णता का वैभव दिख जाए
कुछ 'न होने' की कसक बिसर जाए
तन्मयता की तान ऐसे ठहरे साथ में
कि प्रेम का अक्षय स्त्रोत मुस्काये
एक क्षण
कोई अदृश्य हाथ हर दीवार हटाये
वही विस्तार हम सबको अपनाए
शून्य ले जाए भेद मेरे-तेरे का
शुद्ध तृप्ति सहज ही उमड़ आये
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
बुधवार, ६ अप्रैल 2011
2 comments:
एक क्षण में व्यक्त हो जाता है सदियों का अनुभव।
एक क्षणसम्पूर्णता का वैभव दिख जाएकुछ 'न होने' की कसक बिसर जाएतन्मयता की तान ऐसे ठहरे साथ मेंकि प्रेम का अक्षय स्त्रोत मुस्काये
स्वर्गिक प्रतीति ...
ओस की एक बूँद सी ....
तृप्त करती हुई अनुभूति ......
आभार .
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