जीवन उसके नाम कर, जिससे हैं सब नाम
दिखे कर्म करता मगर, नित्य करे विश्राम
२
मन में उसकी बात है, जिससे है हर बात
चले अकेला पर लगे, सारा जग है साथ
३
मौन मधुर संवाद का, जो देता है खोल
उन्नत करते हैं सदा, उसके दुर्लभ बोल
४
अर्पण के हर ढंग में, बजे एक ही तार
तरह तरह से पहुंचना, छोटी मैं के पार
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
मंगलवार, ४ जनवरी 2011
1 comment:
उस परम को प्रणाम।
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