१
अब मौसम आवारा
लौट रहा दोबारा
घूंघट हटा कर
बह निकली धारा
२
फिर छूट रहा किनारा
समर्पण लगे है प्यारा
सुनसान वादियों में भी
गुनगुनाये बोध तुम्हारा
३
ढलान पर फिसलन से बचाए
चिर मुक्ति गीत कौन गाये
ये किसकी पकड़ है
जो हर बंधन से छुडाये
४
समेट कर अनाम उछाल
साध कर अपनी चाल
लो मुखरित कृपा नृत्य
तरंगित अनंत की ताल
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
गुरुवार, १६ दिसंबर २०१०
1 comment:
हरि अनन्त, हरि कथा अनन्ता।
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