कैसे जुड़ते जाते हैं
सारे सन्दर्भ
एक केंद्र से
सुन्दर समन्वय बनाते
नई आभा जगाते
श्रद्धा के तार झंकृत कर
मधुर मौन में ले जाते
सन्दर्भ
जिनमें एक अंतरहित बोध गुनगुनाता है
स्मृतियाँ
जिनमें परम चरम का आलोक ठहर जाता है
वो सब
घुमावदार रास्ते
पहाड़ की चोटी से
सुन्दर लगते हैं
जिन पर कभी
बेचैन करता था अनिश्चय
यह विहंगम दृश्य
यह क्षितिज तक का विस्तार दिखलाती दृष्टि
चिरमुक्त प्यार की नई कोपलें
यहाँ से
वहां तक जाती हैं
जहां
सारे सन्दर्भों में
एक ओजस्वी सूत्र दिखाई देता है
और शब्दों के बीच
उभर आता है
वह अंतराल जिसमें
समाये हैं तीनो काल
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
शुक्रवार, १७ दिसंबर २०१०
2 comments:
अच्छी कविता.
एक केन्द्र से तो अनगिन किरणें निकल सकती हैं बिना एक दूसरे को काटे हुये।
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