1
कहीं अपना लगता है, कहीं पराया
सयाने लोग इसी को कहते हैं माया
कहते हैं अजन्मा का वास है सबमें
पर जन्म-मृत्यु से कौन बच पाया
२
गीत साँसों के साथ जो आया
सार जीवन का अपने संग लाया
रस्ता तन्हाईयों का था लेकिन
वो हर एक मोड़ पर नज़र आया
उड़ गए ख्वाब सब हथेली से
मगर धड़कन को तूने अपनाया
दिशा तारे बताएं सदियों से
बढ़ा संकेत से जो बढ़ पाया
बात मेरी ना थी, ना है कोई
जिसकी है, उसका नाम ही गाया
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३१ अक्टूबर २०१०
वो हर बार नज़र आया
5 comments:
बेहद सुन्दर और गहन अभिव्यक्ति।
गहरी सोच के साथ बहुत ही सुन्दर कविता...
बात मेरी ना थी,ना है कोई
जिसकी है, उसका नाम ही गाया।
बहुत सुंदर रचना।
बेहद सुन्दर...
सच में, वो हर बार नज़र आया।
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