किस ने उन्हें दुश्मनो से सहानुभूति जताना सिखाया
क्यूँ उन्हें हमारे घावों पर नमक छिड़कना सुहाया
वो अपने देश के टुकड़े करने की नीयत जताते हैं
जिस नाव में सवार, उसी में छेद करते जाते हैं
नफरत की भाषा, बारूदी नारे, ये जो
जवाहर लाल यूनिवर्सिटी में लगाते हैं
अपनी कृतघ्नता का ढिंढोरा पीटते
इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताते हैं
वोटो की रोटी सेकने
कुछ नेता आस्तीन में पलते सांपों को दूध पिलाते हैं
सरल, निश्छल भारतीय
वोट बैंक की चक्की में पिसते चले जाते हैं
अब ये होने लगा है की
वे दुश्मन का सन्देश लिए
हमारे घर आकर पीट रहे हैं ढोल
सवाल है अस्त्तित्व का, सुरक्षा का, स्वाभिमान का,
मेरे भोले भारतीय भैय्या,
अब तू हल्ला बोल
वे जो बौद्धिकता की आड़ में
पल रहे देश के गद्दार हैं
उनके पास बारूद से अधिक
विस्फोटक विचार हैं
क्यों उन सिरफिरों ने भारत माँ को लहूलुहान करने के वहशी नारे लगाए
ऐसे पढ़े लिखों से अनपढ़ अच्छे, जो जानते तो हैं कौन अपने कौन पराये
अशोक व्यास
१६ फरवरी २०१६
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