उसने कहा था
जब रास्ते में
एक टुकड़ा ऐसा आये
की न चलने का मन हो
न ठहरने का
तब मुझे याद करके चलते रहना
उसने कहा था
जब मुझे याद करते हुए
अपने आपको भूल जाओ
तब ये निश्चित जानो
मैं मिल जाऊंगा
उसकी बात साथ रही
पर अपने आपको भूलना
कभी हो ना पाया
अपने को याद रखते हुए
कई बार
वजन बढ़ता गया
और
अपने नीचे दबने से बचने के लिए
एक बार जब
कातरता से उसे पुकारा
तब
ना जाने कैसे
हट गया वजन
संभव हो गया
अपने से छूटना
और एक निश्छल से क्षण में
दिखाई दे गया
सूत्र एक रहस्य का
पूरे रास्ते
मुझे बाँध कर रखने वाला
कोइ और नहीं
मैं खुद था
अशोक व्यास
७ जुलाई २० १ ३
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