इसमें नया क्या है
बस एक नया दिन
और वो ही से काम
जो होते हैं रोज
करते हैं बहुत सारे लोग
यही
बर्तन, कपडे, चाय, दफ्तर
पढना, लिखना
बतियाना
बेमतलब के ईमेल देखना
या सोशियल मीडिया में
ठिठक कर
ऐसे खड़े हो जाना
जैसे कोइ भीड़ भरे चौराहे की रौनक देख ले
इसमें नया क्या है
दिन का दामन पकड़ कर
भाग रही है
घडी की सूई
अपने स्वरूप के
डिजिटल जगत में
लुप्त हो जाने से डरती सी
समय
हर दिन
हमारे साथ
एक नया सम्बन्ध जोड़ता है
यह सेतु
क्षण क्षण नया होता है
हमारी चेतना के साथ
वह छाप जो
छपती है
हमारी संवेदना पर
हमारे लिए नई सी स्मृतियाँ उकेरती हुई
पल पल
सजग सा नया सा कुछ रचती है
और
जब हम इसे देखते देखते
जान जाते हैं
की ये जो प्रकट हो रहा है
हमें लेकर
हमारे लिए
हमारे भीतर
जिसका प्रकटन
अपने से बाहर ही देख-देख
स्वयं से अलग मान बैठे हैं हम
ये प्रकट होने वाला
एक कुछ
सूक्ष्म और सृजनात्मक सौंदर्य का
अद्वितीय निराकार पुंज
अरे
यही तो जीवन है
तब
समय
'दे ताली' के उल्लास के साथ
हमारी ओर बढाता है हाथ
अच्छा लगता है समय को
जब हम सजगता से
देते हैं इसका साथ
और
लेकर अपने साथ अपना मन
बनाते है समय के साथ, अपना जीवन
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
६ मार्च २० १ ३
बुधवार
1 comment:
प्रश्न यही मन में आता है, नया आज क्या?
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