यहाँ अपनी आवाज़ अकेली रह जाने पर
वह सत्य साथ
रहता है
जिससे सब कुछ है
पर
जिसको लेकर
बाज़ार में बैठ कर
चाय पीना
शायद संभव न हो
२
आवाज़ मिला कर
सत्य के स्वर में
प्रतिष्ठा देते हुए
तुम चाहे सत्य के साथ एकमेक न हो
सत्य के पथिकों के लिए
बना हुआ पथ
बिखरने से बचता है
३
अब
बात 'टैक्स' लगने न लगने की नहीं
बात
अस्तित्त्व की सामूहिक पहचान की है
अभी तक तो
हैं
कुछ लोग
जिनकी धमनियों में
धड़क रही है
ऋषियों की आप्त वाणी
हमने सुना, सार विश्व एक कुटुंब है
इसलिए वे हमें एक समुदाय भी नहीं मानते
एकजुट होकर अपनी अस्तित्त्व की पहचान गुंजायमान करने
कोइ भी संस्था अपनी मर्जी से
कर देती है परिभाषा हिन्दू की
कर लेने की समझ के लिए बने
भारत में होकर भी
नहीं जानते
मर्म हिन्दू होने का
गलती किसकी
उनकी
या हमारी
हम जो जानते हैं
महिमा हिंदुत्व की
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
2 comments:
मन में चाह अटूट रहे बस,
टूटेंगे सब विघ्न पन्थ के।
सत्य की खोज में बितता जीवन ........सहेजते हुए जो पाया है उसे ...
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