Saturday, October 20, 2012

यह कैसी प्रयोगशाला है


यह कैसी प्रयोगशाला है 
पिछले दिन तक के 
शोध का परिणाम 
सही स्थल पर रखा होकर भी 
कई बार 
दिखाई नहीं देता आज 

यहाँ पदार्थ से अधिक 
काम आती है दृष्टि 

हर दिन 
नयापन, प्रखर सृजनशीलता 
सूक्ष्म स्फूर्ति 
और 
सतत श्रद्धा यदि न हो साथ 
अदृश्य हो जाती है 
पिछले दिन की बात 


2

यह कैसी प्रयोगशाला है 
जहाँ 
तृप्ति की तरंग 
जाग्रत रहती है 
किसी ऐसे स्त्रोत से 
जो 
नित्य संपर्क में होकर भी 
परे है नियंत्रण से 

शायद उस चिर-स्वतंत्र सत्ता के शासन से ही 
इस प्रयोगशाला में 
सुलभ है 
शाश्वत मुक्ति का प्रसाद
अगणित शताब्दियों से 

3

यह जो प्रयोगशाला है 
जहाँ 
पूर्णता का संपर्क पाकर 
हर सीमा से छूट कर 
नतमस्तक होता हूँ 

यहाँ न किसी पत्रकार को बुला सकता 
न ही किसी मित्र या संबंधी को 

यहाँ होता ही नहीं 
कोइ दूसरा 

बस एक है- 'वह' 
जिसकी प्रयोगशाला है
 जिससे प्रयोगशाला है 


अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका 
20 अक्टूबर 2012 



1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

यहाँ हम स्वयं ही प्रयोग के लिये प्रस्तुत होते हैं।

सुंदर मौन की गाथा

   है कुछ बात दिखती नहीं जो  पर करती है असर  ऐसी की जो दीखता है  इसी से होता मुखर  है कुछ बात जिसे बनाने  बैठता दिन -...