Monday, October 1, 2012

लेखन -एक नया सुन्दर सम्बन्ध दिखने वाला चमत्कार



लेखन मुक्ति का पता पूछने के लिए
सागर की लहर को नमन करना है
लेखन चिंतन की धारा बन कर 
विराट के गलियारे तक
पहुँचने की छटपटाहट को दुलारना है

लेखन फफक कर रोने की आतुरता को
 ढाढस बंधा, संयत होकर
संवित सूर्य के प्रति अनावृत होने की 
कटिबद्धता है

लेखन स्थापित मूल्य की स्मृति को  उंडेलना नहीं, 
ना ही पहचाने हुए अवसाद को ज्यों का त्यों रख देना है

लेखन स्थापित मूल्यों और
 जाने हुए दुख की गतिशीलता में
रचनात्मकता के साथ 
एक नया सुन्दर सम्बन्ध दिखने वाला चमत्कार है

अशोक व्यास,
 न्यूयार्क, अमेरिका
२४ अगस्त २००९

3 comments:

Anupama Tripathi said...

लेखन स्थापित मूल्यों और
जाने हुए दुख की गतिशीलता में
रचनात्मकता के साथ
एक नया सुन्दर सम्बन्ध दिखने वाला चमत्कार है

लेखन पर प्रभावी रचना ...
आभार .

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत ही बड़ा सच कहा है आपने।

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बढिया, बेबाक बात

जब भी समय मिले, मेरे नए ब्लाग पर जरूर आएं..
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