एक अचल है कितना चंचल
उसे देख कर, सब कुछ मंगल
जान जान कर बिसराए जग
प्रेम भाव से मंगल-मंगल
यूँ ही मान कर बैठ न जाना
बड़ा अनूठा है हर एक पल
२
उज्जवल हर पल
हर पल उज्जवल
गुरु चरणों का आश्रय लेकर
वृन्दावन है मन का जंगल
कालियमर्दन के प्रताप से
करूणामयी काल की कलकल
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३ दिसंबर २०११
7 comments:
Sunder rachna.
गुरु चरणों में सब पा जाना..
bahut sargarbhit..
उज्जवल हर पल
हर पल उज्जवल
गुरु चरणों का आश्रय लेकर
वृन्दावन है मन का जंगल
कालियमर्दन के प्रताप से
करूणामयी काल की कलकल
कितना सुन्दर लिखा है आपने ...!
मेरे पोस्ट पे आपका इन्तेजार रहेगा!
bahut hi badhiya prastuti
गुरु चरणों का आश्रय लेकर
वृन्दावन है मन का जंगल
बिन सतगुरु आपनो नहीं कोई ..
जो यह राह बतावे ..
नैहरवा ..हमका न भावे ..
सुन्दर लिखा है |
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