कैसे इतना सारा सौंदर्य उंडेल देता है दिन
देखो उजले आकाश से
उतरता यह सुनहरापन
पेड़ों पर
सड़क पर
हवा के रेशे रेशे में
घुल कर
बोल रहा है
मौन किसका
२
अबकी बार
आनंद के आगमन पर
नहीं लगाई
कोइ प्रदर्शनी उसने
बस तिरता रहा
गंगा की लहरों पर
आँखें मूंदे
पूरी सजगता के साथ
भरता रहा अंतस में
अनंत की आशीष
और
उसे केंद्र बना कर
फैलता रहा आनंद का
नूतन भाव
खुलता रहा
कण कण में
सौन्दर्य का एक नया संगीत
३
इस बार वह जान पाया
संगीत वह है
जो एक कर देता है
बाहर और भीतर को
कुछ ऐसे
की एक अनाम क्षण में
तिरोहित हो जाता है
अपने अलगाव का भाव
बस
वह रहता है
एक वह
जिसके मौन से
प्रकटित होता
सुनहरापन,
फैला देता हर दिशा में
सौम्य सुन्दरता
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२८ नवम्बर २०११
3 comments:
Adbhut....Behtareen
Prakriti ka varnan behad sundar laga..
www.poeticprakash.com
मेरे दिल में मानो टन-न- न से घंटी बजी --
पहली नजर का प्यार ---
यह पंक्तियाँ किसी पोस्ट से कापी की थीं.
पर न जाने क्यूँ यहाँ इन्हें पेस्ट कर प्रस्तुत करना मुझे अच्छा लग रहा है.आपको कैसा लगा?
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए कुछ समय निकालिएगा जी.
Sunder rachna.....
Subhkaamnayen...!
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