(पूज्य स्वामी श्री ईश्वारानंद गिरिजी महाराज, जिनके वचनों पर मनन ही इस कविता का मुख्य आधार है) |
जय जय जीवन, जय जय जीवन
जय ये सांसों का आवागमन
ये कौन रचे अनुभव आँगन
उसकी महिमा का अभिनन्दन
जय जय जीवन, जय जय जीवन
जय सहज, सुकोमल अपनापन
ये कौन रचे सम्बन्ध सघन
उसकी महिमा का नित वंदन
जय जय जीवन, जय जय जीवन
जय सृजनशील यह स्पंदन
ये कौन रचे उन्नत चिंतन
उसकी महिमा को नित्य नमन
जय जय जीवन, जय जय जीवन
जय शुद्ध प्रेम का यह सावन
ये कौन रचे विस्मय का धन
उसकी महिमा का आलिंगन
जय जय जीवन, जय जय जीवन
जय जय जीवन, जय जय जीवन
तुम अमर प्रेम के सहचर हो
तुम कैसा अनुपम सा वर हो
बन कर मेरी पहचान गति
यूँ लगता, मुझ से नश्वर हो
जय जय जीवन, जय जय जीवन
अब मेरा मौन कर दो सुन्दर
अब अमृत की है प्यास मुखर
इन सीमाओं को हटा भी दो
मैं उद्गम दरसन को तत्पर
जय जय जीवन, जय जय जीवन
जय जय जीवन, जय जय जीवन
ओ काल सखा! ओ चतुर चपल
अब छोडो भी अपना यह छल
दिखला दो अपना परम भाव
तुम भी निश्छल, मैं भी निश्छल
जय जय जीवन, जय जय जीवन
जय जय जीवन, जय जय जीवन
पग पग पर तेरा आराधन
हर सांस, कृपा का है सिंचन
मैं धन्य तुम्हारे होने से
सारा वैभव तुमको अर्पण
जय जय जीवन, जय जय जीवन
अब मृत्युंजय में नित्य रमण
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१८ नवम्बर 2011
11 comments:
जय जय जीवन, तेरी जय हो।
जय जय जीवन, जय जय जीवन अब मृत्युंजय में नित्य रमण
बहुत सुंदर रचना है ...इसे सुरबद्ध कर गाना चाहिए..सुंदर वंदना है ...
आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है ... नयी पुरानी हलचल कल शनिवार 19-11-11 को | कृपया पधारें और अपने अमूल्य विचार ज़रूर दें...
पग पग पर तेरा आराधन
हर सांस, कृपा का है सिंचन
मैं धन्य तुम्हारे होने से
सारा वैभव तुमको अर्पण
सुंदर सार्थक पावन भाव.....
Sundar...Poori kavita mein bhaav ke saath-saath Rhyme pattern bahut pasand aaya....
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पग पग पर तेरा आराधन
हर सांस, कृपा का है सिंचन
मैं धन्य तुम्हारे होने से
सारा वैभव तुमको अर्पण
भावमय करते शब्द ।
जय हो!!
बहुत ही अच्छा लगा सर!
सादर
जय जय जीवन....
बहुत सुन्दर रचना....
सादर बधाई...
बहुत अच्छी रचना ...बहुत बधाई
जय हो,जय हो ,जय हो
श्री सतगुरु महाराज जी की जै हो.
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