Thursday, November 17, 2011

रंगत है उसकी किरणों में


धरा आरती की थाली  है
हर एक सांस में दीवाली है

जहाँ जहाँ तक देखा तुमको
वहां वहां तक हरियाली है

जहाँ नहीं छू पाया तुमसे 
वही जगह अब तक काली है

 सुन्दर कर देती है सब कुछ
अद्भुत यादों की लाली है

 आनंद झरता एक बात से
वही बात कहने वाली है

रंगत है उसकी किरणों में
नित उजला मेरा माली है

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
17 नवम्बर २०११   


   

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

वाह, शब्दों ने बड़ा सुन्दर चित्र खीचा है।

Rakesh Kumar said...

सुन्दर कर देती है सब कुछ
अद्भुत यादों की लाली है
आनंद झरता एक बात से
वही बात कहने वाली है

आनन्द की बरसात हो रही है जी
अदभुत रंगत है उसकी.
कि बात उसकी करके
आप की हर बात जगमगा रही है.

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