धरा आरती की थाली है
हर एक सांस में दीवाली है
जहाँ जहाँ तक देखा तुमको
वहां वहां तक हरियाली है
जहाँ नहीं छू पाया तुमसे
वही जगह अब तक काली है
सुन्दर कर देती है सब कुछ
अद्भुत यादों की लाली है
आनंद झरता एक बात से
वही बात कहने वाली है
रंगत है उसकी किरणों में
नित उजला मेरा माली है
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
17 नवम्बर २०११
2 comments:
वाह, शब्दों ने बड़ा सुन्दर चित्र खीचा है।
सुन्दर कर देती है सब कुछ
अद्भुत यादों की लाली है
आनंद झरता एक बात से
वही बात कहने वाली है
आनन्द की बरसात हो रही है जी
अदभुत रंगत है उसकी.
कि बात उसकी करके
आप की हर बात जगमगा रही है.
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