तस्वीर पुरानी
रखी है संभाल कर
बीते हुए क्षणों के साथ
बीत गए हैं
स्वाद जो अनुभव के,
उनको जगमगाना
अतीत में उतर जाना
अपने वर्तमान को
नई तरह से पाना
अपने भीतर की
संभावना को
नई तरह गुनगुनाना
अच्छा सा लगता है
एक विश्वास का
खिल जाना
कि
अब भी
बनेगी बात
होगा कुछ ऐसा
अपने साथ,
जैसे तब होता है
जब प्यासी धरती से
मिल जाती
बरसात
अशोक व्यास
(सितम्बर २००८)
1 comment:
स्मृतियाँ भावनाओं का ज्वार लेकर आती हैं।
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