Monday, October 10, 2011

हाथ उठा कर तोड़ो तारे


हाथ उठा कर तोड़ो तारे
मुट्ठी में हैं सुख-दुःख सारे

जिनके दिल में अपनापन है
वो सबको लगते हैं प्यारे

ख्वाब न छोडो बीच रास्ते
बहुत पास हैं उसके द्वारे

आग लगी बस्ती में कैसी
फिरते हैं सब मारे-मारे

मिल-2 कर सब खो जाना है
चाहे जीते- चाहे हारे


अशोक व्यास

कविता- २

और फिर 
धीरे धीरे
इस तरह
उतरा
एक दिन
सूरज ने
हाथ लगा कर
माथे पर
याद दिलाया
उजियारे का वह गीत
जो सजाया गया था
साँसों में



अशोक व्यास
         न्यूयार्क, अमेरिका           
      

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

छोड़ सभी बस चले जायेंगे।

सुंदर मौन की गाथा

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