लिख कर
अपनी बात मिटाए जाता है
जो कुछ है
वो बात छुपाये जाता है
अब उसकी
क्या खबर बताये लोगों को
जिसके दम पर
कदम बढाए जाता है
२
रास्ते की पहचान भुला कर चलता है
रुक कर भी जाने क्यूं खुद को छलता है
बीच भंवर के नाव दिखाई देती है
या जो कुछ है, सब मन की चंचलता है
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२७ सितम्बर २०११
1 comment:
लहरों का अधिकार नाव पर।
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