१
बस इतना ही हुआ था उस दिन
देख कर
अनदेखा कर दिया किसी ने
और
याद आती रही
बड़ी देर तक
ये इतनी सी बात
२
बस चलते चलते
चुपचाप अपनी ही गली में
वो कर गया पार
अपने घर का द्वार
और
करता रहा विचार,
दूर पहुँच कर
की खोया मैं हूँ
या खो गया है घर?
३
खेल ही खेल में
थपकी मार कर
पूछा था उसने
बस एक सवाल
पर
तरंगित हो गयी सांसों की श्रंखला,
खिल उठी
जगमगाहट सपनों की
देखते-देखते एकाएक
सुनहरा हो गया
सारा संसार,
इस तरह
एक सवाल से
बरस गया सार और प्यार
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२६ अगस्त 2011
2 comments:
कोमल अहसासों से भरी काव्य रचना बधाई
बहुत खूबसूरत सारी रचनाएँ ..
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