Sunday, August 21, 2011

यादों को उत्पात मचाने मत देना



यादों को उत्पात मचाने मत देना
   सपनो को आघात लगाने मत देना
,चाहे जितनी उथल-पुथल हो यार मेरे
   लहर को सागर कभी निगलने मत देना


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२१ अगस्त 2011 

 
 

3 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

गहरे सागर की स्थिरता।

vandana gupta said...

वाह क्या बात कही है…………बहुत सुन्दर्।

Rakesh Kumar said...

लहर को सागर कभी निगलने मत देना

लहर का अस्तित्व ही सागर है,जब यह समझ लेंगें तो लहर को सागर में ही लीन होना होगा.

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