Monday, June 20, 2011

एक सौम्य तारतम्य



उतरते हुए
छम छम करती
बूंदों की लडियां
अलग अलग होते हुए भी
जुडी हैं
एक दूसरे से
गति के द्वारा, लय के द्वारा
सौंदर्य और संगीत प्रकट करता

जुड़ाव का
एक सौम्य तारतम्य

इस जुड़ाव में
एक अदृश्य सूत्र है,

मुग्ध हो रहा
उसे देख-देख कर
जो
ना दीखते हुए भी
दिखाता है
सब कुछ

अशोक व्यास
           २० जून २०११              

2 comments:

Anupama Tripathi said...

जुडी हैं
एक दूसरे से
गति के द्वारा, लय के द्वारा


इसी गति और लय से संगीत और शास्त्र जुड़े हैं ..
.सुंदर अभिव्यक्ति ..!!

प्रवीण पाण्डेय said...

उसके दर्शन कराने का तरीका ही अलग है।

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