अब
दिन पर दिन
बढ़ती जा रही आश्वस्ति
तुम्हारे साथ की,
उज्जवल परत
खुलने लगी है
हर एक बात की
अब
मेरी साँसों में
तुम्हारे होने की सौरभ का
नशा सा छाया है,
उत्सुकता से देखता हूँ
हर स्थिति में
अब कौन सा रूप लेकर
मेरा चिर सखा आया है
अब
उल्लास है, मस्ती है, आनंद है
पग पग पर
तुम्हारी कृपा का छंद है
मौन में उमड़ रहा है
मधुर आलाप,
जैसे ज्योतिस्तंभ प्रकट हो
हर ले सब संताप
ये किसने छू दिया है मुझको
इस तरह की
'मैं' है पर 'मैं' खो गया है
ऐसा लगता है
मुझे कुछ हो गया है
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२६ मई २०११
2 comments:
ये किसने छू दिया है मुझकोइस तरह की'मैं' है पर 'मैं' खो गया हैऐसा लगता है मुझे कुछ हो गया है
वाह …………गज़ब कहा मै है पर मै खो गया है …………।काश ऐसा हो जाये।
यह सुखद अनुभव सदा ही बना रहे।
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