चुरा ले गया है कोई, चोरी का सामान
रपट लिखाना चोर की, नहीं रहा आसान
खाली मन शैतान है, खाली मन भगवान
वो मिल जाएगा तुझे, जिसकी है पहचान
सत्य नदी है सामने, फिर भी है अनजान
उद्यम बिन सिद्धि नहीं, संग रहे अनुमान
एक बार छू कर ज़रा, देख खुला है द्वार
बिन कोशिश तो आस्मां, है पिंजरे के पार
अनुभव भी अंतिम नहीं, अंतिम अनुभव मूल
अंतरतम ने सुन लिया, क्या कहता है फूल
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
८ मई २०११
2 comments:
रपट लिखाना चोर की, नहीं रहा आसान
किससे लिखवायें।
sundar sir ji
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