बदलता नहीं है रास्ता
वही भाव
वही शांति
वही अधीरता
स्वीकारने के सुख के
साथ साथ
अस्वीकृति का तानपूरा
बदलता नहीं हूँ मैं
वही स्वाद
वही चोट
वही तुतलाहट
वही उठ कर चलने
और क्षितिज से हाथ मिलाने की ललक
वही रास्ता, वही मैं
पर धीरे धीरे
ना जाने किस अनदेखे क्षण में
बदला है
रास्ते से मेरा सम्बन्ध
और अब
विराट की मुस्कान
मुझसे खेलते हुए
मुझे दिखाने भी
लगी है
खेल की बारीकियां
सब कुछ सरल होते हुए भी
कितना मुश्किल है
जानते हुए भी
अस्वीकार कर खुदको
बढ़ा देते हैं हम
ऊंचाई सीढ़ियों की
और फिर
समझ के नए स्वर
जब फिर से छोटा करते हैं
सीढ़ियों को
वही पुराना गीत गाते हुए
आगे बढ़ते
हम ये सोचते हैं
कि अभी-अभी बना है ये गीत
रास्ते और मेरे बीच का
बदलता हुआ सम्बन्ध
पुराने को इस तरह नया करता है
की रास्ता नया लगता है
मैं भी नया नया लगता हूँ खुदको
तो शायद
शाश्वत का जादू
खिलता है
सम्बन्ध के द्वारा ही
और
जुड़े बिना शायद
खुल ही नहीं सकता विस्तार हमारा
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
सोमवार, २१ मार्च २०११
1 comment:
अनन्त से जुड़ कर ही सृजनात्मकता बनी रहती है।
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