निशान
बोलते हैं
हमारी पहचान की कहानी
निशान वो
जो छूट जाते हैं
हमारे जाने के बाद
जैसे रेत पर
नंगे पांवों के चिन्ह
हमारा चलना
चिन्ह बनाने के लिए नहीं
चिन्ह तो बनते हैं
अपने आप
पर बनते बनते
बना देते
हमारी पहचान
अपने आप
पर बनते बनते
बना देते
हमारी पहचान
2
कभी यूं भी होता है
उसी तरह अपने आप मिट भी
जाता
कुछ पदचिन्हों का अस्तित्त्व
पर कभी
ये सारगर्भित, दिशाबोध से भरे
चरण चिन्ह
चरण चिन्ह
आत्मनिष्ठा का पाठ पढ़ते हैं
अनंत वैभव की गाथा गाते हैं
और अपनी करूणा से द्रवित
हमें जीने की कला सिखाते हैं
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
शुक्रवार, ४ मार्च 2011
2 comments:
जहँ जहँ चरण पड़े सन्तन के।
Jai Ho Praveenjee
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