सम्भावना
समन्वय के शिखर की
दिखा कर
करता है स्वागत वह
कर्मभूमि पर
सिखलाता है
संतुलन
स्वीकरण और प्रतिरोध के बीच
कलात्मक प्रतिक्रिया
हर स्थिति में
हो जाती है सहज
अपना कर उसे
२
यह एक अद्भुत
सघन शांत स्थल सा
सृजन बिंदु
हो गया है प्रकट
भीतर मेरे
करता है प्रसार प्रेम का
हर दिशा में
इस बिंदु का
आधार है जो
सौंप कर उसे
अपना सर्वस्व
अब मैं
कर्म के द्वारा
देखना चाहता हूँ
एक सुन्दर संतुलन
जिसे साँसों में बैठ कर
सिखला रहा है वह
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२६ फरवरी २०११
2 comments:
शान्ति में सन्तुलन और भी स्पष्ट हो जाता है।
सुन्दर!
Post a Comment