पहेलियाँ
१
मेरे किये से नहीं
मेरे होने से होता है
और
मैं तब होता हूँ
जब मैं नहीं होता हूँ
२
सुरक्षित रहने की चाहवाले
मिट जाते हैं
और
वो
जो
अपने से कुछ बड़ा, गरिमामय, विस्तृत विस्मय
सुरक्षित रखने के लिए
अपनी सुरक्षा का विचार तक भूल जाते हैं
वो हमेशा सुरक्षित रह जाते हैं
३
उसके साथ
सब कुछ स्पष्ट, सरल, सुन्दर, प्रेममय
आनंद से परिपूर्ण
उसका साथ
मुझे अनायास ही
रसमय, परिपूर्ण बना देता है
अगर जो कुछ है
बस उसके साथ के 'बोध का खेल' है
तो फिर 'मैं' क्या हूँ?
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
शुक्रवार,१८ फरवरी 2011
No comments:
Post a Comment