अभिव्यक्ति की छटपटाहट नहीं
उछलन है
आनंद की रसमय धारा का
शब्दों का हाथ पकड़ कर
धर रही है
उनकी हथेली पर
अपने कुछ चिन्ह
खेल खेल में
२
सूर्य की उजियारी गोद
बैठ कर
सुरक्षित मोद में
अब बाँट लेना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ
यह
स्वर्णिम मौन
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
शनिवार, १९ फरवरी २०११
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सूर्य की उजियारी गोद
बैठ कर सुरक्षित मोद में
अब बाँट लेना चाहता हूँ
तुम्हारे साथयह
स्वर्णिम मौन
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
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