एक अदृश्य स्थल पर
निर्विकार वैज्ञानिकों का समूह
चेतना के सूक्ष्म तंतुओं की प्रयोगशाला में
कर रहा है
आविष्कार
एक ऐसी 'सघन शक्ति' का
जो जहाँ अनावृत हो
सृजन की लहरें उमड़ आयें
समन्वय के साथ
प्रेम और आनंद के आलोक से खिल कर
पहचान लें
सब लोग
अपनी अन्तर्निहित
असीम मानवीय आभा
और
उस अनवरत अनंत के अनुनाद में लीन
मुखरित करें
हर स्थल पर
अपना अद्वितीय, विशिष्ट आल्हाद
२
पहले कभी हिमालय की गुफा में बैठ कर
भेजते रहे थे
सकारात्मक, सृजनात्मक, आस्था जगाने वाले स्पंदन
दूर दूर तक जो
अब
नगर-नगर
गाँव-गाँव
अपने आत्म-रूप में
कर रहे हैं अनुसंधान
छेड़ रहे हैं आश्वस्ति की तान
सब तक पहुंचा रहे हैं ये पहचान
कि हर मनुष्य है महान
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२६ जनवरी 2011
2 comments:
उस महानता को तो ढूढ़ना पड़ेगा।
यही खोज करनी है ...
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