शब्द सारे
उसके चरणों पर धर,
छोड़ कर
उस पर
अपनी हर सोच और क्रिया का
दारोमदार
हर दिन
हर क्षण
हर स्थिति में
निश्चिंत होकर
उसके दिए 'शब्दों' की व्यवस्था से
कर लेता हूँ व्यवहार
विराट शिशु होने का बोध
बढाता है
समन्वय,
आनंद और प्यार,
यह बोध जगाने वाले
श्री गुरु चरणों में
नमन है
बारम्बार.
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१४ जनवरी 2011
1 comment:
गुरु के शब्द आदेश हैं।
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