Monday, December 27, 2010

बर्फ की बातें





बर्फ लेकर नाचती है
हवा कभी और कभी
भागती दिखती है बर्फ
किसी वाहन के पीछे
यह जो सफ़ेद बिस्तर सा बिछा है
सड़क पर
 
 
 
लिहाफ ओढ़े ऊंघ रही हैं गाड़ियाँ
कह रही हैं नंगी शाखाएं
पत्ते होते 
तो कुछ देर हमारे साथ भी
बतियाती बर्फ

बर्फ की बातें
अब सुन्दरता से पहले सुरक्षा की याद दिलाती हैं
 
सूर्यकिरण की तरह 
मुझमें से
फूटना चाहती है गति 
और इस गति की गर्म आहट पर
बर्फ हट जाती है
रस्ता दिखाती है
 
स्वप्निल परी 
अपने पंखों के साथ
मेरे मन में 
छुप जाती है
और उड़ उड़ कर 
सबके लिए 
प्रेम और शांति का सन्देश 
पहुंचाती है
 
 
अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका
सोमवार, २७ दिसंबर २०१० 
 



2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

श्वेत हिम, श्वेत शान्ति, मनाग्नि से परे।

vandana gupta said...

सुन्दर अभिव्यक्ति।

सुंदर मौन की गाथा

   है कुछ बात दिखती नहीं जो  पर करती है असर  ऐसी की जो दीखता है  इसी से होता मुखर  है कुछ बात जिसे बनाने  बैठता दिन -...