बर्फ लेकर नाचती है
हवा कभी और कभी
भागती दिखती है बर्फ
किसी वाहन के पीछे
यह जो सफ़ेद बिस्तर सा बिछा है
सड़क पर
लिहाफ ओढ़े ऊंघ रही हैं गाड़ियाँ
कह रही हैं नंगी शाखाएं
पत्ते होते
तो कुछ देर हमारे साथ भी
बतियाती बर्फ
बर्फ की बातें
अब सुन्दरता से पहले सुरक्षा की याद दिलाती हैं
सूर्यकिरण की तरह
मुझमें से
फूटना चाहती है गति
और इस गति की गर्म आहट पर
बर्फ हट जाती है
रस्ता दिखाती है
स्वप्निल परी
अपने पंखों के साथ
मेरे मन में
छुप जाती है
और उड़ उड़ कर
सबके लिए
प्रेम और शांति का सन्देश
पहुंचाती है
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
सोमवार, २७ दिसंबर २०१०
2 comments:
श्वेत हिम, श्वेत शान्ति, मनाग्नि से परे।
सुन्दर अभिव्यक्ति।
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