अमृत पथ है
दिव्य शपथ है
शांति प्रदायक
प्रेम का व्रत है
आनंद उत्सव
साथ सतत है
ज्योतिर्मय
अपना भारत है
शीतल मन
उजियारा गाये
उसका सुमिरन
नित्य सुहाए
धरती आँगन
अम्बर छत है
अमृत पथ है
दिव्य शपथ है
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१३ दिसंबर 2010
है कुछ बात दिखती नहीं जो पर करती है असर ऐसी की जो दीखता है इसी से होता मुखर है कुछ बात जिसे बनाने बैठता दिन -...
1 comment:
शपथ की दिव्यता बनी रहे।
Post a Comment