इतने दिनों के बाद
अब जब
जहाँ भी हूँ
पूरा हूँ अपने आप में
मिल कर औरों के साथ
हर क्रिया से
आरती करता हूँ तुम्हारी
तुम
ना केवल सम्पूर्ण हो
वरन निश्छल उदारता से लुटाते भी हो
अपनी पूर्णता,
और तुम्हारी कृपा से
अब मैं भी
बनने लगा हूँ
लुटेरा परिपूर्णता का
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१ दिसम्बर २०१०
1 comment:
वह पूर्णता कहाँ मिलेगी?
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