मुझमें एक बात कुवांरी है
जिसको ये दुनिया प्यारी है
अनछुई रहे सबमें मिल कर
नूतनता की अधिकारी है
मेरी बाँहों में थमी रहे
ये आंधी की लाचारी है
लो प्रेम रंग सा छिटका है
सुन्दर यह सृष्टि सारी है
अपनेपन का सन्देश लिए
मुझमें ये ज्योति तुम्हारी है
ये मौन मधुर सा पसर रहा
शाश्वत सुख, सांस हमारी है
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
बुधवार, २४ नवम्बर २०१०
1 comment:
जब तक साँस रहेगी, सुख की आस रहेगी।
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