साँसों में सजा है अनंत का उपहार
संकेत मात्र से मिल जाता है संसार
उसकी दृष्टि से मुखरित है असीम
जाग्रत है प्यार की अनवरत धार
उसका होने से हो जाता है सब कुछ
खुल जाता है हर एक बात का सार
वह जब चाहे छुड़ा कर सीमा का खेल
खोल देता है नित्य विस्तृत विस्तार
लो, अनंत वैभव में दमकता मन लेकर
चला मैं मंगल कामना के रथ पर सवार
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
सोमवार, २२ नवम्बर २०१०
1 comment:
साँसों में सजा है अनंत का उपहार
यही उपहार के सारे अनन्त तक पहुँचा जा सकता है।
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